Sunday, March 3, 2013

चाँद


यह बात यूँ तो ख़ास है 
कहने को दिल के पास है !
चाँद यूँ कुछ चुप चाप है 
कह रहा ख़ामोशी में भी कुछ बात है। 

इस चाँद की चांदनी यूँ मदहोश  करती है, 
यह चंचल हवा साथ साथ यूँ ही बहती रहती है !!
पिघले पिघले चाँद मे एक अज़ब सा नशा है 
चूर कर दे मन को कुछ आज यह यूँ बह चला है !!

बढ़ते कदमो के साथ चाँद का मतलब भी बदल गया है 
जो था बचपन मे मामा ,
खेल खिलोने सा जिसका रूप था 
आज वो ही ,
दिल की बातों को समझाने वाला सच्चा दोस्त बन गया है !!

कहते थे बचपन मे की बहुत दूर है वो 
अगर शैतानी करोगे तो रूठ जाएगा 
अब तो लगता है 
किसी को मनाना हो तो चाँद से बढ़कर कौन साथ निभाएगा !!

मेरी तो बस सब आशिकों से ये ही इलतझा है 
साथ निभाना इस चाँद का भी 
बड़ा ही प्यारा है !
इतनी मिसालें कायम करने का येही एक रखवाला है ,
कुछ प्यारी सी मासूम सी इसकी अदा है।। 
भूल जाओगे अगर इसके इस रूप को 
तो होगा एक खालीपन हमारी ज़िन्दगी में  
यह ही हमारी सज़ा है !!








No comments:

Post a Comment